CBSE Class 10 व्याकरण पद - परिचय
पद
वाक्य में प्रयोग किए गए शब्द को पद कहते हैं।
उन शब्दों को व्याकरण के आधार पर उनका परिचय देना, पद परिचय कहलाता है।
- राम, पत्र, पढ़ना – शब्द हैं।
- राम ने पत्र पढ़ा – इन वाक्यों में प्रयुक्त होकर राम, पत्र और पढ़ा पद बन गए हैं।
पदों का परिचय देते समय निम्नलिखित बातें बताना आवश्यक होता है:
- संज्ञा – तीनों भेद, लिंग, वचन, कारक क्रिया के साथ संबंध।
- सर्वनाम – सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया से संबंध।
- विशेषण – विशेषण के भेद, लिंग, वचन और उसका विशेष्य।
- क्रिया – क्रिया के भेद, लिंग, वचन, पुरुष, काल, वाच्य, धातु, कर्म और कर्ता का उल्लेख।
- क्रियाविशेषण – क्रियाविशेषण का भेद तथा जिसकी विशेषता बताई जा रही है, का उल्लेख।
- समुच्चयबोधक – भेद, जिन शब्दों या पदों को मिला रहा है, का उल्लेख।
- संबंधबोधक – भेद, जिसके साथ संबंध बताया जा रहा है, का उल्लेख।
- विस्मयादिबोधक – हर्ष, भाव, शोक, घृणा, विस्मय आदि किसी एक भाव का निर्देश।
सभी पदों के परिचय पर एक संक्षिप्त दृष्टि
सभी पदों को मुख्यतया दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:
- विकारी
- अविकारी शब्द या अव्यय
विकारी
इस वर्ग के पदों में लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण विकार आ जाता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रियाविशेषण विकारी पद हैं।
1. संज्ञा
किसी प्राणी, व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। ध्यान दें-द्रव्य, पदार्थ, धातुएँ तथा समूह का बोध कराने वाले शब्द कक्षा, सेना, भीड़ आदि जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आती हैं।
लिंग
संज्ञा के जिस रूप से उसके स्त्री या पुरुष जाति का होने का पता चले, उसे लिंग कहते हैं; जैसे- बालक-बालिका।
कारक
वाक्य में संज्ञा आदि शब्दों का क्रिया से संबंध बताने वाला व्याकरणिक कोटि कारक कहलाता है।
2. सर्वनाम
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं; जैसे-मैं, हम, ये कुछ आदि।
3. विशेषण
संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं; जैसे-मीठा, परिश्रमी, काला, मोटा आदि।
प्रविशेषण
विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं; जैसे –
- यह आम बहुत मीठा है।
- उड़ीसा में आया तूफ़ान अत्यधिक भयावह था।
- इस साल बिलकुल कम वर्षा हुई।
4. क्रिया
जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का पता चले, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे- लिखना, पढ़ना, बोलना, स्नान करना आदि।
धातु – क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। इसी में ‘ना’ लगाने पर क्रिया का सामान्य रूप बनता है।
धातु + ना = सामान्य रूप
पढ़ + ना = पढ़ना
लिख + ना = लिखना
(क) कर्म के आधार पर क्रिया भेद
- अकर्मक क्रिया- हँसाना, रोना, भागना, दौड़ना, कूदना, उछलना, बैठना आदि।
- सकर्मक क्रिया- पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, बनाना, बुनना, देना, तोड़ना आदि।
(ख) बनावट के आधार पर क्रिया भेद
- मुख्य क्रिया – टूट गया, रोता रहा, चल दिया, खा लिया आदि।
- संयुक्त क्रिया – कर लिया, सो गया, काट लिया, गाता गया आदि।
- प्रेरणार्थक क्रिया – लिखवाना, कटवाना, बनवाना, पढ़वाना, चलवाना।
- नामधातु क्रिया – फ़िल्माना, शरमाना, लजाना, हिनहिनाना आदि।
- पूर्वकालिक क्रिया – पढ़कर, खाकर, नहाकर, पीकर, देखकर आदि।
'काल' क्रिया के होने के समय का सूचक होता है।
काल को तीन भागों में विभाजित किया जाता है - वर्तमान काल, भूतकाल, और भविष्यत्काल।
ब – अविकारी शब्द या अव्यय
अव्यय वे शब्द होते हैं, जिन पर लिंग, वचन, काल, पुरुष आदि का कोई असर नहीं होता है। जैसे – प्रातः, अभी, धीरे-धीरे, उधर, यहाँ, परंतु, और, इसलिए आदि।
अव्यय के भेद – क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक तथा निपात अविकारी शब्द हैं।
1. क्रियाविशेषण
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द क्रियाविशेषण कहलाते हैं; जैसे- बहुत, धीरे-धीरे, उधर, प्रातः आदि।
2. संबंधबोधक
जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य के अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।
- विद्यालय के पास बगीचा है।
- मंदिर के सामने फूल खिले हैं।
- मुझे सुमन के साथ बाज़ार जाना है।
- इसके अतिरिक्त, के अलावा, के भीतर, के बारे में, के विपरीत, के बदले, की तरह, की तरफ, के बाद आदि संबंधबोधक हैं।
3. समुच्चयबोधक
जो अव्यय दो शब्दों, दो पदबंधों या दो अव्ययों को जोड़ने का कार्य करते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक कहते हैं; जैसे – और, तथा, किंतु, परंतु अथवा आदि।
4. विस्मयादिबोधक
जिन अव्यय शब्दों से आश्चर्य, हर्ष, घृणा, पीड़ा आदि भाव प्रकट हों, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे – ओह, अरे, अहा, हाय आदि।
5. निपात
वे अव्यय शब्द जो किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ पर बल लगा देते हैं, उन्हें निपात कहते हैं। ही, तो, भी, तक, मात्र, भर आदि मुख्य निपात हैं।
Previous year Questions
(1) 'शर्माजी उसकी बातें सुनकर ठहाके मारकर हँसने लगे।' रेखांकित पद का परिचय होगा -
(ii) मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्त्व होता है।' रेखांकित पद का परिचय है-
(iii) निम्नलिखित वाक्यों में किस वाक्य में कालवाचक क्रियाविशेषण का प्रयोग नहीं हुआ है ?
(iv) 'भानपुरा से मेरी यादों का सिलसिला शुरू होता है।' रेखांकित पद का परिचय है -
(v) 'मैं भी वहाँ रुककर उन्हें सुनना चाहती थी।' रेखांकित पद का परिचय है -
Answer - PYQs
(i) 'शर्माजी उसकी बातें सुनकर ठहाके मारकर हँसने लगे।' रेखांकित पद का परिचय होगा -
(B) कालवाचक क्रियाविशेषण, 'हँसने लगे' क्रिया की विशेषता
(ii) मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्त्व होता है।' रेखांकित पद का परिचय है-
(D) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक
(iii) निम्नलिखित वाक्यों में किस वाक्य में कालवाचक क्रियाविशेषण का प्रयोग नहीं हुआ है ?
(D) यह गलत परंपरा तत्काल खत्म होनी चाहिए।
(iv) 'भानपुरा से मेरी यादों का सिलसिला शुरू होता है।' रेखांकित पद का परिचय है -
(C) सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, 'यादों' विशेष्य
(v) 'मैं भी वहाँ रुककर उन्हें सुनना चाहती थी।' रेखांकित पद का परिचय है -
(A) मध्यमपुरुष सर्वनाम, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक