अलंकार (Alankar)
➥ अलंकार का अर्थ है 'आभूषण'। जिस प्रकार शरीर की शोभा को बढ़ाने के लिए आभूषणों का प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार कविता की शोभा को बढ़ाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है।
➥ हिंदी साहित्य में अलंकार का विशेष महत्व है।
अलंकार के प्रकार
मुख्यतः अलंकार को दो प्रकारों में बाँटा गया है:
- 1. शब्दालंकार (Shabd Alankar)
- 2.अर्थालंकार (Arth Alankar)
1. शब्दालंकार (Shabd Alankar)
➥ शब्दालंकार वह अलंकार है, जिसमें शब्दों की चमत्कारी योजना द्वारा काव्य में सौंदर्य और प्रभाव पैदा किया जाता है। इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
(i) अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)
➥ जब किसी कविता या वाक्य में एक ही ध्वनि या वर्ण का बार-बार प्रयोग होता है, तो अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
रवि रथ पर रजत रश्मियाँ,
रथ चल रहा तेज गति से।
(ii) यमक अलंकार (Yamak Alankar)
➥ जब किसी वाक्य या कविता में एक ही शब्द का दो या दो से अधिक बार प्रयोग होता है, परन्तु उसके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं, तो यमक अलंकार कहलाता है।
नवल नवल नवतरंग,
नवल नवल नवल राग।
(iii) श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)
➥ जब किसी शब्द के दो अर्थ होते हैं और उसका एक साथ प्रयोग होता है, तो श्लेष अलंकार कहलाता है।
गिरिराज ने गिरा दिया,
गिरिराज की छवि।
2. अर्थालंकार (Arth Alankar)
➥ अर्थालंकार वह अलंकार है, जिसमें शब्दों के अर्थों के माध्यम से कविता में सौंदर्य और प्रभाव उत्पन्न किया जाता है। इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
(i)रूपक अलंकार (Rupak Alankar)
➥ जब किसी वस्तु या व्यक्ति को किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति के समान बताया जाता है, तो रूपक अलंकार कहलाता है।
सूरज मुखी की प्याली,
सोने की कड़ाही।
(ii) उपमा अलंकार (Upma Alankar)
➥ जब किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति से की जाती है, तो उपमा अलंकार कहलाता है।
उसका चेहरा चाँद सा,
और आँखें सितारे।
(iii) अतिशयोक्ति अलंकार (Atishyokti Alankar)
➥ जब किसी बात को आवश्यकता से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर कहा जाता है, तो अतिशयोक्ति अलंकार कहलाता है।
वो आकाश की ऊँचाईयों को छूता,
जैसे पर्वत की चोटी।
(iv) उत्प्रेक्षा अलंकार (Utpreksha Alankar)
➥ जब किसी वस्तु की विशेषता की संभावना को प्रकट किया जाता है, तो उत्प्रेक्षा अलंकार कहलाता है।
उसकी चाल, जैसे हिरण की गति।
(v)मानवीय अलंकार (माणविय अलंकार)
➥ मानवीय अलंकार वह अलंकार है जिसमें निर्जीव वस्तुओं, प्राकृतिक दृश्यों, या पशु-पक्षियों को मानव रूप में वर्णित किया जाता है।
चाँदनी हँस रही है - यहाँ चाँदनी को हँसते हुए दिखाया गया है, जो एक मानवीय क्रिया है।
नदी गा रही है - यहाँ नदी को गाते हुए दिखाया गया है, जो एक मानव क्रिया है।
अलंकार का महत्व
अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं। वे पाठकों को प्रभावित करते हैं और कविता के अर्थ को गहराई और विस्तृतता प्रदान करते हैं।
अलंकार के माध्यम से कवि अपनी भावनाओं और विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है।
Previous Year Questions
(i) 'हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निसाचर भाग ।।' इस पंक्ति में अलंकार है -
- उत्प्रेक्षा
- अतिशयोक्ति
- यमक
- श्लेष
(ii) 'जो नत हुआ वह मृत हुआ, ज्यों वृंत से झर कर कुसुम ।' इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है -
- अतिशयोक्ति
- यमक
- श्लेष
- उत्प्रेक्षा
(iii) 'लेटी है श्रांत-क्लांत, निश्चल ! तापस बाला गंगा निर्मल ।' - इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है ?
- यमक
- श्लेष
- उत्प्रेक्षा
- मानवीकरण
(iv) 'मेरी भव-बाधा हरौ राधा नागरि सोइ ।
जा तन की झाईं परै स्याम हरित दुति होइ ।।'
इन काव्य पंक्तियों में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है ?
- मानवीकरण
- उत्प्रेक्षा
- श्लेष
- यमक
(v) निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में से कौन सी काव्य-पंक्ति उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण है ?
- धँस गए धरा में सभय शाल
- सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।
- पानी गए न उबरै मोती मानुष चून ।
- पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश
Answer Key
(i) B - अतिशयोक्ति
(ii) D - उत्प्रेक्षा
(iii) D - मानवीकरण
(iv) C - श्लेष
(v) D - पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश